Wednesday, May 27, 2015

रुख अब हवा का बदलने लगा है

...
.
रुख अब हवा का बदलने लगा है,
तबसुम भी शोला उगलने लगा है |

.
जब से चला है पता साजिशों का,
दिल कातिलों का दहलने लगा है ।

.
कब तक भला क़ैद साँसे रहेंगी,
दिल वादियों का पिघलने लगा है ।

.
गुमराह कब तक रहेंगी दिशाएँ,
तेवर फलक भी बदलने लगा है ।

.
टिम-टिम सितारों तुम्हें छुपना होगा,
सूरज यहाँ अब निकलने लगा है ।

.
__________हर्ष महाजन

No comments:

Post a Comment