...
दिल-ए-ग़मज़दा को सताओगे क्या तुम,
मुझे बार-बार आजमाओगे क्या तुम |
ये हम हैं कि अब तक परेशाँ हैं,
शब्-ए-हिज्राँ की ताब लाओगे क्या तुम |
बस इतनी सी इक बात मैं पूछता हूँ,
कभी मुझको अपना बनाओगे क्या तुम |
न छोड़ोगे मर कर भी दामन हमारा,
जो वादा किया था निभाओगे क्या तुम |
गम-ए-ज़िन्दगी, ज़िंदगी बन चुका है,
हंसा कर मुझे अब रुलाओगे क्या तुम |
‘हर्ष’ आज मुल्क-ए-अदम से चला है,
इस बार ज़िन्दगी संग आओगे क्या तुम |
© हर्ष महाजन
दिल-ए-ग़मज़दा को सताओगे क्या तुम,
मुझे बार-बार आजमाओगे क्या तुम |
ये हम हैं कि अब तक परेशाँ हैं,
शब्-ए-हिज्राँ की ताब लाओगे क्या तुम |
बस इतनी सी इक बात मैं पूछता हूँ,
कभी मुझको अपना बनाओगे क्या तुम |
न छोड़ोगे मर कर भी दामन हमारा,
जो वादा किया था निभाओगे क्या तुम |
गम-ए-ज़िन्दगी, ज़िंदगी बन चुका है,
हंसा कर मुझे अब रुलाओगे क्या तुम |
‘हर्ष’ आज मुल्क-ए-अदम से चला है,
इस बार ज़िन्दगी संग आओगे क्या तुम |
© हर्ष महाजन
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