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कब तलक नाज़ उठाएगा ज़माना तेरा,
अब तो भाता भी नहीं ज़ुल्फ़ गिराना तेरा ।
मैं भी ख़ामोश हूँ अब देख अदाएं तेरी,
लब पे आता ही नहीं कोई फ़साना तेरा ।
याद आती है तेरे खुश्क लबों की जुम्बिश,
मुझसे जब पहली दफा हाथ मिलाना तेरा ।
वो भी था वक़्त हवाओं में तेरे गीत चले,
देख बदली है फ़ज़ा और दिवाना तेरा ।
यूँ महब्बत के नशे में ये जलन ठीक नहीं,
मेरा हर यार बना ठौर ठिकाना तेरा ।
हर्ष महाजन
2122 1122 1122 22
दिल की आवाज़ भी सुन मेरे फ़साने पे न जा
2122 1122 1122 22
दिल की आवाज़ भी सुन मेरे फ़साने पे न जा
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