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इश्क़ में गर आहें खाली जाएंगी
कुछ कमाने फिर संभाली जायेंगी ।
प्यार की वो जंग छू ले जब फलक,
मौत तक कसमें उठा ली जाएंगी ।
बेवफाई का कभी दिल में हो शक,
उल्फतें दिल की बिठा ली जाएंगी ।
जब गमों की बाढ़ सी आने लगे,
कश्तियाँ दिल से निकाली जाएंगी ।
साजिशें गर उठ चलीं खुद इश्क़ में,
रंजिशें फिर जल्द हटा ली जाएंगी ।
टूट कर जिसको भी चाहा हो अगर,
मंज़िलें ख़्वाबों में पा ली जाएंगी ।
जब चमन दिल का खिजां होने लगे,
हसरतें दिल की खंगाली जाएंगी ।
आखों से दिल का सफर करना हो जब,
नावेँ अश्क़ों में बहा ली जाएंगी ।
गर थमेगा प्यार का लंबा सफ़ऱ
अर्थी में यादें निकाली जाएंगी ।
हर्ष महाजन 'हर्ष'
2122 2122 212
दिल के अरमां आंसुओं में बह गए
2122 2122 212
दिल के अरमां आंसुओं में बह गए
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