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आज इक शख़्स मुझे ख़्वाब दिखाने आया,
चाँद उतरा है ज़मी पर ये बताने आया ।
बेपनाह आंखों में अश्कों का सफ़ऱ रख बाकी ,
आज ख़त उसके मैं छत पे था जलाने आया ।
सिसकियाँ उठने लगीं दिल से जो काबू न हुईं,
मैं मुहब्बत के समंदर में नहाने आया ।
किसमें दम था कि मेरे दिल पे कोई घाव करे,
पर मुक़द्दर ही मेरा मुझको रुलाने आया ।
कुछ तो हाथों में लिए बैठे हैं खंज़र लेकिन,
इनमें इक दोस्त बचाने के बहाने आया ।
मेरी किस्मत में हमेशा से है धोख़ा यारो,
मैं भी खुल कर के उन्हें आज नचाने आया ।
ज़िन्दगी 'हर्ष' ने अब तक है जी अश्क़ों में मगर,
अब जो हिम्मत है तो मैं उसको बताने आया ।
-हर्ष महाजन 'हर्ष'
2122 1122 1122 112(22)
दिल की आवाज़ भी सुन मेरे फ़साने पे न जा
आज इक शख़्स मुझे ख़्वाब दिखाने आया,
चाँद उतरा है ज़मी पर ये बताने आया ।
बेपनाह आंखों में अश्कों का सफ़ऱ रख बाकी ,
आज ख़त उसके मैं छत पे था जलाने आया ।
सिसकियाँ उठने लगीं दिल से जो काबू न हुईं,
मैं मुहब्बत के समंदर में नहाने आया ।
किसमें दम था कि मेरे दिल पे कोई घाव करे,
पर मुक़द्दर ही मेरा मुझको रुलाने आया ।
कुछ तो हाथों में लिए बैठे हैं खंज़र लेकिन,
इनमें इक दोस्त बचाने के बहाने आया ।
मेरी किस्मत में हमेशा से है धोख़ा यारो,
मैं भी खुल कर के उन्हें आज नचाने आया ।
ज़िन्दगी 'हर्ष' ने अब तक है जी अश्क़ों में मगर,
अब जो हिम्मत है तो मैं उसको बताने आया ।
-हर्ष महाजन 'हर्ष'
2122 1122 1122 112(22)
दिल की आवाज़ भी सुन मेरे फ़साने पे न जा
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(२५-०४-२०२०) को 'पुस्तक से सम्वाद'(चर्चा अंक-३६८२) पर भी होगी
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
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अनीता सैनी
Anita ji bahut bahut shukriya
Deleteमेरी किस्मत में हमेशा से है धोख़ा यारो,
ReplyDeleteमैं भी खुल कर के उन्हें आज नचाने आया ।
वाह!!!
क्या बात...
लाजवाब गजल।
आपके स्नेहिल शब्दों के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ।
Deleteसादर ।
वाह लाजवाब ग़ज़ल
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद अनीता जी । उम्मीद है आप इसी तरह आते रहेंगे ।
ReplyDeleteसादर
उम्दा/बेहतरीन सृजन।
ReplyDeleteशुक्रिया ।
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