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वो रोया बहुत बे-हया कहते कहते,
ज़ुदा हो गया बे-वफ़ा कहते कहते ।
समंदर में कश्ती उतारो न ऐसे,
मैं हारा तूफानी हवा कहते कहते ।
हुआ हादसा दोस्ती में यक़ीनन,
मैं टूटा बहुत बावफ़ा कहते कहते ।
ख़ुदा हाथ में कुछ लकीरें दे ऐसी
थका हूँ मुझे दे रज़ा कहते कहते ।
सितम उसका दिल को छुआ इस तरह वो ,
जो अश्क़ों से रुक्सत हुआ कहते कहते ।
मुहब्बत में दिल ने सहा दर्द इतना,
बहुत पीया मैंने दवा कहते कहते ।
ग़में दास्ताँ अपनी कैसे लिखूँगा,
वो दिल ले गया अलविदा कहते कहते ।
चली महफिलों में ग़ज़ल ऐसी ऐसी,
*तेरे हुस्न को 'बेवफ़ा' कहते कहते* ।
खुदा ने जो पूछा मुहब्बत हुई क्या ?
तो तड़पा बहुत ये सज़ा कहते कहते ।
-------हर्ष महाजन 'हर्ष'
122 122 122 122
तेरे प्यार का आसरा चाहता हूँ
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