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चाँद छुप जाएगा घूंघट तो हटाकर देखो,
शाम तन्हाई में आँखें तो मिलाकर देखो |
शाम तन्हाई में आँखें तो मिलाकर देखो |
मेरी आहट ही रुला देगी ज़माने भर को .
गर वो जानेंगे मैं ज़िंदा हूँ बताकर देखो |
गर वो जानेंगे मैं ज़िंदा हूँ बताकर देखो |
मैं ही दौलत हूँ शहर भर से हटा दो मातम,
जो बुझे हैं वो चिरागों को जलाकर देखो |
जो बुझे हैं वो चिरागों को जलाकर देखो |
जो रकीबों की तरह फिरते हैं साए लेकिन,
दर-कदम उनको मेरी साँसे सुनाकर देखो |
दर-कदम उनको मेरी साँसे सुनाकर देखो |
ज़ुल्म कोई हो मेरा सब वो तुम्हीं से रौशन,
उनको नज्में मेरी ग़ज़लें तो दिखाकर देखो |
जो भी अफ़साने बने सब ही मज़ा लेते हैं,
गर हो अखबार पुरानी तो उठाकर देखो |
हर्ष महाजन
उनको नज्में मेरी ग़ज़लें तो दिखाकर देखो |
जो भी अफ़साने बने सब ही मज़ा लेते हैं,
गर हो अखबार पुरानी तो उठाकर देखो |
हर्ष महाजन
बहर:-
2122-1122-1122-22
2122-1122-1122-22
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