...
आँखों से टपकता हर कतरा, आंसू होगा तुम क्या जानों,
दे खुशियों में भी संग मेरा, आंसू होगा तुम क्या जानों |
जब रूह तडपे फिर चश्म झरें, उनको ही आंसू कहते हैं,
जब कपट झरे अखियन से ज़रा, आंसू होगा तुम क्या जानों |
गम में वो कभी दामन में गिरें, उनको ही आंसू कहते हैं,
कभी टपक पड़े बैरंग कतरा, आंसू होगा तुम क्या जानों |
ख़्वाबों में अखियाँ नम हों कभी, उनको ही आंसू कहते हैं,
जब छल बन पलकों से उतरा, आंसू होगा तुम क्या जानों |
जब कतल हों अरमां टपक पड़ें, उनको ही आंसू कहते हैं,
गर बे-मौसम अखियों से गिरा, आंसू होगा तुम क्या जानों |
______________हर्ष महाजन
जब कपट झरे अखियन से ज़रा, आंसू होगा तुम क्या जानों |
गम में वो कभी दामन में गिरें, उनको ही आंसू कहते हैं,
कभी टपक पड़े बैरंग कतरा, आंसू होगा तुम क्या जानों |
ख़्वाबों में अखियाँ नम हों कभी, उनको ही आंसू कहते हैं,
जब छल बन पलकों से उतरा, आंसू होगा तुम क्या जानों |
जब कतल हों अरमां टपक पड़ें, उनको ही आंसू कहते हैं,
गर बे-मौसम अखियों से गिरा, आंसू होगा तुम क्या जानों |
______________हर्ष महाजन
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