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तेरी जुल्फों से नज़र मुझसे हटाई न गई,
और आँखों से पलक मुझसे गिराई न गई |
तेरी जुल्फों से नज़र मुझसे हटाई न गई,
और आँखों से पलक मुझसे गिराई न गई |
मैं भी इक फूल कभी पर
था अंधेरों में खिला,
दिल था जुल्फों में सजूँ मुझसे बताई न गई |
यूँ न दो ऐसी सदा गैरों को, हो मुझपे सितम
है लहर सीने में दर्दों की बताई न गई |
यूँ तो ख़्वाबों में कभी ज़ुल्फ़ को झटको हो सनम,
हैं वो नागिन सी कभी मुझसे जताई न गई |
मैं तो भटका हूँ उजालों में अंधेरों की तरह,
पर दिया-बाती कभी मुझसे जलाई न गई |
मेरी जब मौत की चर्चा जो सर-ए-आम हुई,
आग इतनी थी जली मुझसे बुझाई न गई |
हर्ष महाजन
दिल था जुल्फों में सजूँ मुझसे बताई न गई |
यूँ न दो ऐसी सदा गैरों को, हो मुझपे सितम
है लहर सीने में दर्दों की बताई न गई |
यूँ तो ख़्वाबों में कभी ज़ुल्फ़ को झटको हो सनम,
हैं वो नागिन सी कभी मुझसे जताई न गई |
मैं तो भटका हूँ उजालों में अंधेरों की तरह,
पर दिया-बाती कभी मुझसे जलाई न गई |
मेरी जब मौत की चर्चा जो सर-ए-आम हुई,
आग इतनी थी जली मुझसे बुझाई न गई |
हर्ष महाजन
2122-1122-1122-112
( रमल मुसमान मखबून महफूज़ )
( रमल मुसमान मखबून महफूज़ )
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