...
मेरी धड़कन भी मुझको....मनाती रही,
चुप थी बे-दर्दी......मुझको रुलाती रही |
चुप थी बे-दर्दी......मुझको रुलाती रही |
दिल था टूटा मगर......मैं न टूटा कभी ,
बे-वफ़ा थी जो नज़रें........चुराती रही |
इक खलिश थी मुझे, उसको भी रंज था,
जाने फिर क्यूँ वो...मातम मनाती रही |
बात जो कुछ भी थी....बीच उसके मेरे,
बे-वफ़ा गैरों को क्यूँ.........बताती रही |
मैं था मायूस सोचा न......लौटेंगे फिर,
पर वो आँखों में बन अश्क आती रही |
हर्ष महाजन
212-212-212-212
बहरे मुतदारिक मुसम्मन सालिम
*छोड़ दे सारी दुनियां किसी के लिए*
बे-वफ़ा थी जो नज़रें........चुराती रही |
इक खलिश थी मुझे, उसको भी रंज था,
जाने फिर क्यूँ वो...मातम मनाती रही |
बात जो कुछ भी थी....बीच उसके मेरे,
बे-वफ़ा गैरों को क्यूँ.........बताती रही |
मैं था मायूस सोचा न......लौटेंगे फिर,
पर वो आँखों में बन अश्क आती रही |
हर्ष महाजन
212-212-212-212
बहरे मुतदारिक मुसम्मन सालिम
*छोड़ दे सारी दुनियां किसी के लिए*
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