...
तेरे कदमों का निशाँ दिल पे मिला है मुझको,
जो खलल उसमें हुआ उसका गिला है मुझको |
मेरी महफ़िल तो मगर सच में तुझी से रौशन,
जब से आने का पता तेरा चला है मुझको |
हो रहे
आज फसादों के जो मंज़र इतने,
ये सबब तेरी अदाओं से मिला है मुझको |
ये सबब तेरी अदाओं से मिला है मुझको |
जो
निगाहों की जुबां समझे वही है साहिल,
बे
मुरव्वत से बता कैसा सिला है मुझको |
मौत दिल
की हो, बदन की, या मुकम्मिल लेकिन,
दे खबर राख सा, कोई तो जला, है मुझको |
हर्ष महाजन
दे खबर राख सा, कोई तो जला, है मुझको |
हर्ष महाजन
2122-1122-1122-22
1122-1122-1122-22
(रमल मुसम्मन मखबून मह्जुफ़ मकतू )
कभी खुद पे कभी हालात पे रोना आया
1122-1122-1122-22
(रमल मुसम्मन मखबून मह्जुफ़ मकतू )
कभी खुद पे कभी हालात पे रोना आया
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