Saturday, January 15, 2022

दर्द-ए-दिल पर किसकी हैं परछाइयाँ


दर्द-ए-दिल पर किसकी हैं परछाइयाँ,
साथ जिनके इतनी हैं गहराइयाँ ।

ज़िन्दगी का यूँ सफ़ऱ मुश्किल हुआ,
इतनी रंजिश, इतनी हैं रुसवाईयाँ।

हो रही खामोश अब ये ज़िन्दगी,
ख़्वाब बन रह जायेंगी शहनाइयाँ।

ज़ख़्म हर पल कर रहे छलनी जिगर,
जिस सफ़र पर इतनी थीं रानाइयाँ ।

दर्द-ए-ग़म का है ठिकाना 'हर्ष' जब,
हमसफर जब से हुईं रुसवाईयाँ ।

हर्ष महाजन 'हर्ष'
"तुम न जाने किस जहाँ में खो गए"
2122 2122 212
15 जनवरी 22

रानाइयाँ=सुंदरता
रुसवाईयाँ=बेइजती ,बदनामी, अपमान और दुर्गति , निंदा, जिल्लत 

14 comments:

  1. यही ज़िन्दगी है ,कभी हमनवां तो कभी तनहाइयाँ ।

    बेहतरीन ग़ज़ल

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    1. आपकी आमद औऱ उस पर आपकी होंसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया । इस बज़्म को यूँ ही रौशन करते रहिए आदरणीय।💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

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  2. आपकी लिखी रचना सोमवार. 17 जनवरी 2022 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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    1. लिंक चर्चा में शामिल करने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद आदरनीय संगीता जी ।
      सादर

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  3. हृदय स्पर्शी भावों को उकेरी उम्दा ग़ज़ल।

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    1. आपकी आमद औऱ उस पर आपकी होंसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय।💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

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  4. बेहद ख़ूबसूरत ग़ज़ल !

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    1. बेहद शुक्रिया अमृता जी ।

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  5. बहुत सुंदर गज़ल सर।

    सादर।

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    1. आपकी आमद औऱ उस पर आपकी होंसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया आदरनीय स्वेता जी💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

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  6. बहुत खूबसूरत सृजन

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    1. पसंदंगी आपकी समीक्षा के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपका💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

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  7. ज़ख़्म हर पल कर रहे छलनी जिगर,
    जिस सफ़र पर इतनी थीं रानाइयाँ ।
    बहुत ही लाजवाब गजल
    वाह!!!

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  8. पसंदंगी आपकी गहन समीक्षा के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपका💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

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