जब कभी दिल किसी का दुखाया करो,
दो कदम ग़म के भी तो बढ़ाया करो ।
सिरफिरा भी कहे गर वो पागल भी फिर,
ऐसे नख़रे भी फिर तुम उठाया करो ।
जो कहा ही नहीं, उसने वो भी सुना,
फिर तो किस्मत पे आँसू बहाया करो ।
उम्र भर तुम ख़ताओं में मशगूल थे,
अपने दिल को भी ये तुम बताया करो ।
बेवफा निकली वो फिर कहा उसने ये,
धीरे-धीरे उसे तुम भुलाया करो ।
ग़म का है या खुशी का मगर कुछ तो है,
ये सफ़ऱ ज़िन्दगी का निभाया करो ।
जब चले जिक्र तेरा किसी बज़्म में,
दिल धड़कता तेरा भी सुनाया करो ।
हर्ष महाजन 'हर्ष'
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अच्छी गजलें, हर्ष जी! साधुवाद१--ब्रजेंद्रनाथ
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रियां आदरनीय ।
Deleteउम्दा अस्आर हर शेर लाजवाब।
ReplyDeleteबहुत बहुत सुंदर।
बहुत बहुत शुक्रियां आदरनीय ।
Deleteशुक्रिया कामनी जी ।
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