Friday, January 14, 2022

जो भी मिला गुलाब किताबों में रख लिया

 

जो भी मिला गुलाब किताबों में रख लिया,
है फर्क बस कि तुमने हिसाबों में रख लिया ।

हमको तो दर्द-ए-शौक-ओ-तमन्ना भी खूब थी,
तुमसे मिला था जो भी हिज़ाबों में रख लिया ।

अम्न-ओ-सकून चैन यहाँ तब से खो गया,
चेहरा उन्होंने जब से नकाबों में रख लिया ।

ये डर है तुमको खो न दें इस ख्याल से,
लम्हात था जो कीमती ख्वाबों में रख लिया ।

मीठी ज़ुबाँ का हमपे हुआ इस कदर असर,
लहज़ा मिज़ाज़ तुमसा जवाबों में रख लिया ।

हर्ष महाजन 'हर्ष'
221 2121 1221 212
14 जनवरी 22

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