Wednesday, January 5, 2022

खूबसूरत ग़ल्त-फहमी हो गयी

खूबसूरत ग़ल्त-फहमी  हो गयी,
बीज दिल में इक हसीना बो गयी  ।

क्यूँ उसे अब ढूँढता हूँ दर-बदर,
क्या मुक़द्दर में मुहब्बत हो गयी ।

ग़म खुशी के रंगों को बस देखकर,
मेरे हाथों की वो रेखा खो गयी ।

कर दिया इज़हार उसने प्यार का,
फिर अचानक मेरी धड़कन सो गयीं ।

रोशनी बुझने लगी दिए कि अब,
मेरे दिल से जो निकल के वो गयी ।

हर्ष महाजन 'हर्ष'
2122 2122 212

2 comments:

  1. उम्दा हृदय स्पर्शी ग़ज़ल।
    हर शेर लाजवाब।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया मन की वीना जी ।

      Delete