Friday, January 14, 2022

हुस्न होगा शबाब भी होगा


हुस्न होगा शबाब भी होगा,
सुर्ख चेहरे पे ताब भी होगा ।

ज़ुल्म रुख पे सितम जो ढाते हैं,
सोचता माहताब भी होगा ।

इश्क़ हो तल्ख़ तो समझ लेना,
प्यार गर है इताब भी होगा ।

प्यार इज़हार जब करे कोई,
हाथों में इक गुलाब भी होगा ।

हमसफ़र बेवफ़ा जो दिखने लगे,
आंखों में इज़्तिराब भी होगा ।

इश्क़ में है अगन तो उट्ठेगी,
आग गर उसमें आब भी होगा ।

मुफ़लिसों पर न ज़ुल्म ढा ऐसे, 
गर ख़ुदा है हिसाब भी होगा ।


हर्ष महाजन 'हर्ष'
2122 1212 22 (112)
15 जनवरी 22
★★★
इज़्तिराब=बैचेन, व्याकुल
इताब=गुस्सा,रोष
ताब= ताप, गर्मी
आब=पानी
अगन=तपिश

3 comments:

  1. इश्क़ हो तल्ख़ तो समझ लेना,
    प्यार गर है इताब भी होगा ।
    वाह .... हर शेर लाजवाब

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया संगीता जी ।

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