दर्द-ए-दिल पर किसकी हैं परछाइयाँ,
साथ जिनके इतनी हैं गहराइयाँ ।
ज़िन्दगी का यूँ सफ़ऱ मुश्किल हुआ,
इतनी रंजिश, इतनी हैं रुसवाईयाँ।
हो रही खामोश अब ये ज़िन्दगी,
ख़्वाब बन रह जायेंगी शहनाइयाँ।
ज़ख़्म हर पल कर रहे छलनी जिगर,
जिस सफ़र पर इतनी थीं रानाइयाँ ।
दर्द-ए-ग़म का है ठिकाना 'हर्ष' जब,
हमसफर जब से हुईं रुसवाईयाँ ।
हर्ष महाजन 'हर्ष'
"तुम न जाने किस जहाँ में खो गए"
2122 2122 212
15 जनवरी 22
★
रानाइयाँ=सुंदरता
रुसवाईयाँ=बेइजती ,बदनामी, अपमान और दुर्गति , निंदा, जिल्लत
यही ज़िन्दगी है ,कभी हमनवां तो कभी तनहाइयाँ ।
ReplyDeleteबेहतरीन ग़ज़ल
आपकी आमद औऱ उस पर आपकी होंसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया । इस बज़्म को यूँ ही रौशन करते रहिए आदरणीय।💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
Deleteआपकी लिखी रचना सोमवार. 17 जनवरी 2022 को
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
लिंक चर्चा में शामिल करने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद आदरनीय संगीता जी ।
Deleteसादर
हृदय स्पर्शी भावों को उकेरी उम्दा ग़ज़ल।
ReplyDeleteआपकी आमद औऱ उस पर आपकी होंसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय।💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
Deleteबेहद ख़ूबसूरत ग़ज़ल !
ReplyDeleteबेहद शुक्रिया अमृता जी ।
Deleteबहुत सुंदर गज़ल सर।
ReplyDeleteसादर।
आपकी आमद औऱ उस पर आपकी होंसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया आदरनीय स्वेता जी💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
Deleteबहुत खूबसूरत सृजन
ReplyDeleteपसंदंगी आपकी समीक्षा के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपका💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
Deleteज़ख़्म हर पल कर रहे छलनी जिगर,
ReplyDeleteजिस सफ़र पर इतनी थीं रानाइयाँ ।
बहुत ही लाजवाब गजल
वाह!!!
पसंदंगी आपकी गहन समीक्षा के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपका💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
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